कुछ मजबूरी है इसलिए खामोश हूं मैं -04-Apr-2022
कुछ मजबूरी है इसलिए ख़ामोश हूं मैं,
मुल्क के लिए आज भी सरफरोश हूं मै,
हुकूमत से कहो अभी डरा नहीं हूं मैं,
नौजवानों का आज भी जोश हूं मैं,
सच को सच बोलने से डरता नहीं हूं मैं,
उनसे कहो कि अभी मरा नहीं हूं मैं,
अलीगढ़ ने सिखाया है हक़ बोलना मुझे,
बस कुछ मजबूरी है इसलिए खामोश हूं मैं।
वो सोचते हैं झूठे मुकदमों से डरा देंगे मुझे,
उनसे कहो अभी डरा नहीं हूं मैं,
वो मुझसे आखिर इतना डरते क्यों हैं,
मुल्क में अपना हक़ ही तो मांग रहा हूं मैं।
कौम का वकार हूं रोशन सा किरदार हूं मै,
पहले था शिफा, उमर और खालिद अब गिरफ़्तार हूं मै,
हक़ बोलने वाला इंसान हूं, इसलिए ही तो गिरफ्तार हूं मैं।
इल्म की तलाश मे इल्म का तलबगार हूं मै,
ज़ुल्म की गुबार पर सच की फुवार हूं मैं,
मजलूमों की पुकार हूं, ज़ुल्म पर वार हूं मैं,
पहले था फरहान में, अब मजबूरियों का शिकार हूं मै।
ज़िद, जूनून और जज्बातों से भरा हूं मै,
मै बहुत अच्छा, और अच्छा खासा बुरा हूं मैं,
मुल्क पर आज भी सरफरोश हूं मै,
बस कुछ मजबूरी है इसलिए ख़ामोश हूं मै।
~✍️ फरहान ज़ुबैरी
Seema Priyadarshini sahay
05-Apr-2022 10:59 AM
वाह बहुत खूबसूरत
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Zeba Islam
04-Apr-2022 11:12 PM
Bahot khoob
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Anam ansari
04-Apr-2022 10:11 PM
Buhat acha likha
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